महादेव को क्यों नहीं चढ़ाया जाता केतकी का फूल।क्यों दिया था महादेव ने केतकी के फूल को श्राप ।

By Mangesh Kadam

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प्रस्तावना

महाशिवरात्रि हिन्दुओं के एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे देशभर में उत्साह से मनाया जाता है। इस अद्वितीय दिन को विशेषत: मंदिरों में धूमधाम से मनाया जाता है, और भक्त विभिन्न प्रकार के पूजा अर्चना का आयोजन करते हैं। हमारा लक्ष्य यहां एक रहस्यमय और महत्वपूर्ण परंपरागत प्रश्न को समझने का है – क्यों केतकी फूल भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता?

केतकी फूल और उसका महत्व

केतकी फूल एक उन्नत और सुंदर फूल है, जो कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों से महत्वपूर्ण है। इसका वैज्ञानिक नाम Pandanus है और यह भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न क्षेत्रों में पाया जाता है। केतकी फूल का रंग हरा होता है, और इसकी मिठास और आरोमा के कारण इसे पूजा-अर्चना में उपयोग किया जाता है।

भगवान शिव और केतकी फूल

कुछ प्राचीन ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, केतकी फूल का भगवान शिव के साथ कोई विशेष संबंध नहीं है। यहां एक अद्भुत रहस्य है जो लोगों के बीच प्रचलित है, और इससे संबंधित कई कथाएं हैं।

1. मिथ्या कथाएं और पुरानिक अद्भुति

कुछ कथाएं कहती हैं कि केतकी फूल ने भगवान शिव को अपमानित किया था, और इसलिए इसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में उपहार देना उचित नहीं समझा जाता है। हालांकि, इस परंपरागत अनुसार यह मिथ्या है और कोई पुराणिक प्रमाण नहीं है।

2. धार्मिक संबंध और परंपरा

केतकी फूल का प्राचीन समय से ही हिन्दू धर्म में उपयोग होता आया है, लेकिन इसका कोई विशेष संबंध भगवान शिव से नहीं है। इसमें कोई धार्मिक अर्थ नहीं होता है कि इसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में चढ़ाया जाए।

3. सांस्कृतिक मिष्टि और परंपरागत विचारधारा

कुछ सांस्कृतिक समर्थन कहता है कि एक विशेष भावना और माहौल के बीच में, केतकी फूल को इस विशेष अवसर पर नहीं चढ़ाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी को ध्यान में रखता है।


क्या चंपा और केतकी एक ही है?

सावन मास में शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई तरह से पूजा अर्चना करते हैं और गुलाब, चंपा, कमल समेत कई फूलों को अर्पित करते हैं। लेकिन एक फूल ऐसा है, जिसको भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता और वह फूल है केतकी का फूल

केतकी फूल का दूसरा नाम क्या है?

सफेद केतकी को लोग प्राय: ‘केवड़ा‘ के नाम से जानते और पहचानते हैं और पीली अर्थात्‌ सुवर्ण केतकी को ही केतकी कहते हैं। बरसात में इसमें फूल लगते हैं जो लंबे और सफेद होते है और उसमें तीव्र सुगंध होती है। इसका फूल बाल की तरह होता है और ऊपर से लंबी पत्तियों से ढका रहता है।

चंपा का फूल कौन से भगवान पर चढ़ता है?

चंपा के फूलों से भगवान कार्तिकेय की पूजा

इसके बाद भगवान कार्तिकेय को और पुष्प चढ़ाए जाते हैं। खासतौर से इस दिन भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल चढ़ाए जाते हैं। फिर रात्रि में भूमि पर शयन करना चाहिए। इस दिन तेल का सेवन नहीं किया जाता है और अगले दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है।


केतकी का पौधा कौन सा होता है?

केतकी, केवड़ा और चंपा के फूल सबसे ज्यादा सुगंधित और सुंदर फूल माने जाते हैं. वास्तु के अनुसार, घर में केतकी, केवड़ा और चंपा का पौधा होना सबसे लाभदायक होता है. केतकी, केवड़ा और चंपा का पौधा किसी भी व्यक्ति के लिए वरदान साबित हो सकता है.

केतकी और केवड़े का फूल कौन सा होता है?

सफेद को केवड़ा कहते हैं और पीली प्रजाति को केतकी कहते हैं। केतकी बहुत ही सुगंधित होती है और उसके पत्ते भी कोमल होते हैं। केवड़ा को दूसरी भाषाओं में गंधपुष्प, धूतिपुष्पिका, केंदा, केउर, गोजंगी, केवर, नृपप्रिया आदि के नाम से भी जानते हैं.

केतकी फूल का महत्व और पूरी जानकारी

केतकी को एक महकदार झाड़ी माना जाता है इसकी पत्तियां कोमल चिकनी नुकीली तथा चपटी होती हैं इसकी पीठ पर कांटे भी पाए जाते हैं केतकी को केवड़ा के नाम से भी जाना जाता है केतकी को पुष्प की पत्तियों के रंग के आधार पर दो प्रकार में बांटा गया है जिस केतकी के पौधे पर सफेद रंग की पत्तियां होती हैं उसे केवड़ा कहा जाता है और जिस पौधे पर पीले रंग की पत्तियां पाई जाती हैं उसे सुवर्ण केतकी कहा जाता है।

केतकी का फूल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है और यह भारतीय पौधों में प्रसिद्ध है। इसे आमतौर पर मंदिरों और पूजा स्थलों में उपयोग किया जाता है और इसका प्रयोग पूजा और उपासना के दौरान फूल चढ़ाने के लिए किया जाता है। केतकी का फूल एक महकदार सुगंध भी छोड़ता है, जिसे लोग पसंद करते हैं। यह फूल अपनी सुंदरता, रंगों और सुगंध के कारण बाग़बानी में भी उपयोग किया जाता है।

निष्कर्ष

इस अद्वितीय अन्वेषण के आधार पर हम यहां पहुँचते हैं कि केतकी फूल का भगवान शिव से कोई विशेष संबंध नहीं है, और इसलिए इसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में चढ़ाया जाना उचित है। इस परंपरागत प्रथा में किए जाने वाले कुछ विशेष रूप और नियमों के पीछे एक व्यापक सांस्कृतिक समृद्धि की भी महक होती है।

समाप्ति

इसमें हमने देखा कि केतकी फूल के श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में चढ़ाने से संबंधित कई कथाएं हैं, लेकिन इनमें से कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है। इसलिए, यह साफ है कि केतकी फूल को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में चढ़ाने का कोई धार्मिक या सांस्कृतिक सम्बंध नहीं है।

आशा है कि यह लेख आपको इस रहस्यमय प्रश्न के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर एक अनूठा और आदर्श तरीके से इसे मनाने का आनंद लें, इसके साथ ही समृद्धि और खुशियों का आनंद उठाएं।

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