हेलो दोस्तों, आप सभी का मेरे इस लेख में स्वागत है आपने सोचा है कि दुनिया में सबसे बड़ा फूल कैसे दिखता है? क्या आपने कभी सोचा है कि एक फूल इतना बड़ा हो सकता है कि आपके साथी को चुमने के लिए उसका आवाज़ भी देना पड़े? आइए, हम आपको बताते हैं कि विश्व का सबसे बड़ा फूल कौन सा है और यह कहां पाया जाता है।
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पूरी दुनिया में एक अद्वितीय फूल का परिचय
यह फूल दुनिया के सबसे बड़े फूल ‘रेफ्लेशिया’ प्रजाति का अभी तक पाया गया सबसे बड़ा फूल है। रिपोर्ट के अनुसार, यह फूल चार वर्ग फीट में फैला हुआ है। इससे पहले साल 2017 में तब तक का सबसे बड़ा फूल पाया गया था। वह रेफ्लेशिया फूल तीन फीट बड़ा और उसका वजन 12 किलोग्राम था।
यह फूल केसिरया आसमानी और सफेद रंग का होता है। नर और मादा फूलों की संरचना एक जैसी होती है। यह एक परजीवी पौधा है। इससे बहुत दुर्गंध आती है। यह फूल पांच भागों में बंटा होता है। दल चक्र के बीच में प्यालीनुमा पुष्पनाल होती है, जो आधार पर अंडाशय से जुड़ी होती है। प्यालीनुमा पुष्पनाल में मौजूद गंध कीट पतंगे को आकर्षित करती है, कीट जैसे ही फूल के संपर्क में आते हैं, गिर कर मर जाते हैं। इसी से वे इसे पॉलीनेट करने में कामयाब हो जाते हैं। इस फूल को स्थानीय लोग ‘लाशों का फूल’ भी कहते हैं।
फूल की अद्वितीयता
राजहंस मूल एक अत्यधिक अद्वितीय फूल है, जिसका आकार वाकई विस्मयकारी है। यह फूल लकड़बग्घे के पुष्प के रूप में होता है, और इसका वजन किलोग्राम में मापा जा सकता है! इसके बड़े होने के बावजूद, यह फूल एक ही दिन में मुरझा जाता है।
इंडोनेशिया के पश्चिमी मध्य सुमात्रा वन में खोज
राजहंस मूल का प्राकृतिक आवास इंडोनेशिया के पश्चिमी मध्य सुमात्रा के घने वनों में पाया जाता है। इस फूल की खोज की पहली रिपोर्ट ब्रिटिश गवर्नर सर टॉमास स्टॉम्टन और वन सर्जन जोसेफ आर्नोल्ड द्वारा की गई थी, जोने 1818 में यह फूल पहली बार देखा था।
तितलियन फ्लावर के बारे में रोचक तथ्य
तितलियन फ्लावर का फूल लगभग 3 फुट लम्बा होता है, और इसका व्यापकता करीब 3 फुट होती है। |
इसका फूल एक गहरे लाल रंग का होता है, जिसमें सफेद दोते दिखाई देते हैं, जिससे यह फूल और भी आकर्षक लगता है। |
इसका फूल कुछ महीने तक खिलता रहता है, और इसकी खुशबू आपको वायुमंडल में भी मिलती है। |
तितलियन फ्लावर के वनों में वन्यजीवन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं, खासकर भृंग, मक्खियाँ, और तितलियन बटरफ्लाय जैसे पशु-पक्षी। |
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फूल की खासियतें
राजहंस मूल के फूल का रंग आमतौर पर लाल होता है, और इसके बीच में सफेद रंग के छोटे-छोटे डॉट्स होते हैं, जिनकी वजह से यह फूल आलस्यकारी हो जाता है। इसके चारों ओर कांपू की गंध होती है, जो इसके प्रजनन के लिए मदद करती है।
फूल खत्म होने के पहले सड़ने लगता है
इसके पौधे में कोई पत्ती और जड़ नहीं होती है। अपना पोषण दूसरे पौधों से प्राप्त करता है। यह फूल साल के कुछ महीने में ही खिलता है। फूल अक्तूबर में खिलना शुरू होते हैं और मार्च तक खिलते रहते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसकी उम्र 65 दिन होती है। खत्म होने के एक हफ्ते पहले से इसमें से बदबू आना शुरू हो जाती है। बाद में यह काला पड़ खत्म हो जाता है।
एक विचित्र प्रजनन प्रक्रिया
राजहंस मूल की प्रजनन प्रक्रिया बहुत ही विचित्र है। इसका फूल केवल उसकी मूँह की तरह ही स्फूर्त होता है, और यह फूल के पास कोई अन्य प्राणी या पेड़ की तरह क्लोरोफिल नहीं होता, इसलिए यह खुद को पूरी तरह से पूष्पित नहीं कर सकता। इसकी प्रजनन प्रक्रिया के लिए एक अन्य राजहंस मूल के साथ मिलना जरूरी होता है।
एक अद्वितीय प्राकृतिक आवश्यकता
राजहंस मूल का आवास अपने प्राकृतिक वातावरण के लिए महत्वपूर्ण है। इसके वनों को संरक्षित रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं ताकि यह अद्वितीय फूल बरकरार रह सके।
आपका आमंत्रण
अब आपको एक बड़ा इंटरनेट यातायात के बीच इस अद्वितीय फूल के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने का मौका मिला है। इस लेख को पूरी तरह से पढ़ें और इसका आनंद लें!
निष्कर्षण
राजहंस मूल एक दिव्य प्राकृतिक अद्वितीयता का प्रतीक है। इसका आकार और प्रजनन प्रक्रिया वाकई अद्वितीय हैं, और यह हमें प्राकृतिक विश्व की महत्वपूर्णता को समझने का मौका देता है। आइए, हम इसे संरक्षित रखने के लिए साझा कदम उठाएं और इसे अगली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित बनाएं।
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