Hello! Friends Welcome To My Blog
गार्डनिंग करना आजकल लगभग हर कोई पसंद करता है। जब भी किसी को समय मिलता है वो किचन गार्डन में तरह-तरह का पौधा लगाते हैं। किचन गार्डन में कोई फूल पौधा लगाता है तो कोई फल तो कोई औषधीय पौधा लगाते हैं। एलोवेरा का पौधा, तुलसी का पौधा, पुदीना का पौधा, लेमन ग्रास आदि ऐसे हजारों पौधे हैं जिसे सेहत के लिए कई लोग इस्तेमाल करते हैं।
कई बार आयुर्वेदिक एक्सपर्ट भी कुछ औषधीय पौधे को को सेवन करने की सलाह देते हैं। एक ऐसा ही पौधा है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह वजन बढ़ाने या वजन को कम करना हो तो यह एक बेस्ट औषधीय प्लांट है। जी हां, हम बात कर रहे हैं शतावरी पौधा के बारे में। इस आर्टिकल पढ़ने के बाद आप आसानी से वजन को बढ़ाने या घटाने वाले इस पौधे को लगा सकते हैं।
विषय सूची-
1. | शतावरी क्या है? |
2. | शतावरी पौधे का बीज कैसे होना चाहिए? |
3. | शतावरी का पौधा लगाने के पहले इन बातों का रखें ध्यान |
4. | शतावरी का पौधा लगाने के बाद इन बातों का रखें ध्यान |
5. | शतावरी के फायदे |
6. | शतावरी के उपयोगी भाग |
7. | शतावरी कहां पाया या उगाया जाता है? |
- 1 शतावरी क्या है?
- 2 शतावरी पौधे का बीज कैसे होना चाहिए?
- 3 शतावरी का पौधा लगाने के पहले इन बातों का रखें ध्यान
- 4 शतावरी का पौधा लगाने के बाद इन बातों का रखें ध्यान
- 5 शतावरी के फायदे :-
- 6 गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद शतावरी का सेवन :-
- 7 शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए शतावरी का प्रयोग
- 8 सेक्सुअल पॉवर (स्टेमना) को बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन
- 9 शतावरी सिरदर्द से भी आराम दिलाता है।
- 10 बवासीर में शतावरी से फायदा
- 11 शतावरी के उपयोगी भाग
- 12 शतावरी कहां पाया या उगाया जाता है?
Table of Contents
शतावरी क्या है?
शतावरी बेल या झाड़ (shatavari plant) के रूप वाली शतावरी एक जड़ी-बूटी है। इसकी लता फैलने वाली, और झाड़ीदार होती है। एक-एक बेल के नीचे कम से कम 100, इससे अधिक जड़ें होती हैं। ये जड़ें लगभग 30-100 सेमी लम्बी, एवं 1-2 सेमी मोटी होती हैं। जड़ों के दोनों सिरें नुकीली होती हैं।
शतावरी पौधे का बीज कैसे होना चाहिए?
यह हम सभी जानते हैं कि किसी भी पौधे को लगाने के लिए सही बीज का होना या फिर सही पौधे का होना बहुत जरूरी है। अगर बीज सही नहीं हो तो कितना भी मेहनत कर लें पौधा कभी भी नहीं उगेगा। इसलिए शतावरी का पौधा लगाने के लिए बीज का सही होना बहुत जरूरी है।
शतावरी का सही बीज खरीदने के लिए आप इधर-उधर न जाकर आप किसी बीज भंडार या फिर किसी नर्सरी में जा सकते हैं। यहां शतावरी के बीज उचित दाम और सही किस्म के बीज आसानी से मिल जाते हैं।
शतावरी का पौधा लगाने के पहले इन बातों का रखें ध्यान
1.भूमि का चयन:- शतावरी के पौधे के लिए उचित भूमि का चयन करें। यह पौधा धूप और आधे तापमान वाले स्थान को पसंद करता है। जमीन को नीचे से अच्छे से फेंकें और उसमें कमी को पूरा करने के लिए मिट्टी, कम्पोस्ट या खाद डालें।
2. उचित जगह का चयन:- शतावरी को उचित जगह पर लगाना महत्वपूर्ण है। इसे धूप में रखें और तेज बारिश और भारी हवाओं से बचाएं। बालकनी या छत पर इसे लगाने से उत्तम परिणाम मिलते हैं।
3. उचित जगह का चयन:- शतावरी को उचित जगह पर लगाना महत्वपूर्ण है। इसे धूप में रखें और तेज बारिश और भारी हवाओं से बचाएं। बालकनी या छत पर इसे लगाने से उत्तम परिणाम मिलते हैं।
4. इसके लिए आप जिस मिट्टी को गमले में डालने वाले हैं उसे फोड़कर एक दिन के लिए हवा या धूप के नीचे रख दें। इससे मिट्टी में मौजूद कीड़े या फिर जंगली घास मर जाते हैं। इससे पौधे की ग्रोथ बाधित नहीं होती है।
5. इसके बाद खाद युक्त मिट्टी को गमले में डालकर बराबर कर लें। मिट्टी बराबर करने के बाद मिट्टी में लगभग 2 इंच गहरा बीज को डालकर मिट्टी को बराबर कर लें।
मिट्टी बराबर करने के बाद 1-2 मग पानी ज़रूर डालें।
शतावरी का पौधा लगाने के बाद इन बातों का रखें ध्यान
- पानी देना:- पौधे को ध्यान से देखें और नियमित तौर पर पानी दें। शतावरी पौधा प्राकृतिक रूप से नमी पसंद करता है, इसलिए ध्यान रखें कि मिट्टी हमेशा थोड़ी नमीदार रहे।
- संरक्षण:- बारिश, तेज धूप या भारी हवा से पौधे को बचाएं। उचित संरक्षण इसकी सेहत के लिए महत्वपूर्ण है।
- उर्वरक और खाद:- नियमित अंतराल पर पौधे को उर्वरक और खाद देने से उसकी वृद्धि अच्छी होती है और फूलने की क्षमता बढ़ती है।
- कीटाणुनाशक का उपयोग:- यदि पौधे पर कीटाणु हो तो उसे दूर करने के लिए कीटाणुनाशक का उपयोग करें। स्वस्थ पौधे के लिए नुकसानकारी कीटाणुओं से बचाना महत्वपूर्ण है।
- नियमित छटाई :- पौधे को नियमित रूप से छटाई करें ताकि वह स्वस्थ और अच्छे रूप में बढ़ सके।
- सही समय पर फसल:- शतावरी का पौधा उगाने के लिए सही समय चुनें, जो समय उसके विकास और फसलन के लिए सबसे उपयुक्त हो। अगर आप सही देखभाल करेंगे तो शतावरी का पौधा स्वस्थ और सुंदर होगा और आपको इससे बेहतर फसल हासिल होगी।
शतावरी के फायदे :-
शतावरी के बहोत से फायदे है इसको कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है शतावरी के फायदे लेने के लिए आपको शतावरी के आयुर्वेदीय गुण-कर्म, उपयोग के तरीके, उपयोग की मात्रा, एवं विधियों की जानकारी होनी जरूरी है, जो ये हैं-
गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद शतावरी का सेवन :-
गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी के फायदे बहुत ही लाभकारी सिद्ध होते हैं। गर्भवती महिलाएं शतावरी, सोंठ, अजगंधा, मुलैठी तथा भृंगराज को समान मात्रा में लें और इनका चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में लेकर बकरी के दूध के साथ पिएं। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ रहता है।
शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए शतावरी का प्रयोग
जो लोग शारीर में कमजोरी या ताकत की कमी महसूस कर रहे हैं। वे शतावरी को घी में पकाकर मालिश करें, इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है। शतावरी के फायदे सामान्य कमजोरी को दूर करने में बहुत मददगार साबित होते हैं।
सेक्सुअल पॉवर (स्टेमना) को बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन
- कई लोग मर्दानगी में ताकत की कमी, या सेक्सुअल स्टेमना में कमी से भी परेशान देखे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति शतावरी के इस्तेमाल से फायदा उठा सकते हैं। इसमें शतावर को घी में पकाकर सेवन करें।
- इसके अलावा दूध के साथ शतावरी चूर्ण की खीर बनाकर खाने से भी सेक्सुअल स्टेमना में वृद्धि होती है।
शतावरी सिरदर्द से भी आराम दिलाता है।
शतावरी की ताज़ी जड़ को कूटकर, रस निकाल लें। इसमें रस के बराबर ही तिल का तेल डालकर उबाल लें। इस तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सिरदर्द और अधकपारी में आराम मिलता है।
बवासीर में शतावरी से फायदा
बवासीर में शतावरी का उपयोग करना बेहतर परिणाम देता है। 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
शतावरी के उपयोगी भाग
- जड़
- जड़ से तैयार काढ़ा
- पत्ते
- पेस्ट
- चूर्ण (shatavari churna)
शतावरी कहां पाया या उगाया जाता है?
भारत में शतावरी की खेती अनेक स्थानों पर की जाती है। इसकी खेती हिमालयी क्षेत्रों में 1500 मीटर तक की ऊंचाई पर होती है। शतावरी मुख्यतः गंगा के ऊपरी मैदानी क्षेत्रों, और बिहार के पठारी भागों में पाई जाती है।
इसे भी पढ़े- अपनी बालकनी को सजाये इन 10 खूबसूरत फुलो से
यंहा देखे वीडियो-