शिव जी के में चढ़ने वाले बेल पत्ते के फायदे और औषधीय गुण

By Rashi

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हेलो! फ्रेंड्स मेरा नाम राशि साहू है और आज के हमारे आर्टिकल में आप सबका स्वागत है आज मै आपको शिव जी के में चढ़ने वाले बेल पत्त्ति के महत्व के बारे में बताने वाले है जैसे की आप सभी जानते हो की बेल के पेड़ (bilva tree) के बारे में तो सभी जानते ही होंगे | बेल के प्रयोग कई तरह के काम में किया जाता है और हमारे हिन्दू धर्म में तो भगवान शिव – पार्वती की पूजा के लिए बेल का उपयोग किया जाता है | अनेक लोग बेल का शर्बत भी बहुत पसंद से पीते हैं। इसके अलावा भी बेल का इस्तेमाल कई कामों में किया जाता है। इसके अलावा आयुर्वेद के अनुसार बेल के अनगिनत फायदे हैं जिसके कारण औषधि के रूप इसका प्रयोग किया जाता है।

बेल क्या है? (What is Bell?)

बेल (bael tree) बहुत ही पुराना वृक्ष है। और इसे भारतीय ग्रंथों में इसे दिव्य वृक्ष का नाम दिया गया है । इस वृक्ष में लगे हुए पुराने पीले पड़े हुए फल, एक साल के बाद पुनः हरे हो जाते हैं। इसके साथ ही आप अगर इसके पत्तों को तोड़कर रखेंगे तो 6 महीने तक ज्यों के त्यों बने रहते हैं। इस वृक्ष की छाया ठंडक देती है और स्वस्थ बनाती है। बेल का पेड़ कांटों से युक्त होता है।

बेल के फायदे (benefits of vine)

आज हम आपको बेल के फल, के पत्ते और फूल के गुण अनगिनत फायदे हैं, आइए सभी के बारे में जानते हैं

मधुमेह या डायबिटीज में बेल का उपयोग (Bael Helps to Control Diabetes in Hindi)

  • 10-20 ग्राम बेल के ताजे पत्तों (bael leaves) को पीस लें। उसमें 5-7 काली मिर्च भी मिलाकर पानी के साथ सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे मधुमेह में लाभ होता है।

सिर दर्द में बेल फायदेमंद (Benefits of Bael in Relief from Headache in Hindi)

  • बेल की सूखी हुई जड़ को थोड़े जल के साथ गाढ़ा पीस लें। इसके पत्ते का पेस्ट बना लें। इसे मस्तक पर लेप करने से सिर दर्द से आराम मिलता है।
  • एक कपड़े को बिल्व के पत्ते के रस में डूबोएं। यह पट्टी सिर पर रखने से सिर दर्द में लाभ होगा।
  • एक कपड़े को बिल्व के पत्ते के रस में डूबोएं। यह पट्टी सिर पर रखने से सिर दर्द में लाभ होगा।

बहरापन दूर करने के लिए बेल का उपयोग (Wood Apple (Bel) Benefits for Hearing Loss Problem in Hindi)

बेल के कोमल पत्तों को स्वस्थ गाय के मूत्र में पीस लें। इसमें चार गुना तिल का तेल, तथा 16 गुना बकरी का दूध मिलाकर धीमी आग में पकाएं। इसे रोज कानों में डालने से बहरापन, सनसनाहट (कानों में आवाज आना), कानों की खुश्की, और खुजली आदि समस्याएं दूर होती हैं।

बेल पेड़ के धार्मिक मान्यताओं के बारे में

हिंदू धर्म ग्रंथों में यह मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान विष्णु को तुलसी पत्र प्रिय है वैसे ही भगवान शिव को बेलपत्र बहुत पसंद है। इसलिए शिव पूजा में बेल पत्र को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो कोई भी शिव जी की पूजा बेलपत्र से करते हैं, उसकी मनोकामना भगवान जल्द ही पूरा करते हैं।

पुराणों में बेलपत्र के तीन समूह वाले पत्ते को भगवान शंकर के त्रिशूल या त्रिनेत्र से तुलना किया गया है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि बेलपत्र में ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव का वास होता है। स्कंद पुराण के अनुसार बेल पेड़ की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने की बूंद से हुई थी। कहा जाता है कि बेल का यह शुभ पेड़ सकारात्मक ऊर्जा का भंडार है।

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